दांतों में कैविटी और दर्द से कैसे पाएं छुटकारा? आज जान लें दांत की सड़न ठीक करने का रामबाण तरीका
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कुछ चीजें दांतों पर जमा होकर बैक्टीरिया को बढ़ावा देती हैं, जो एसिड बनाते हैं और धीरे-धीरे दांत की ऊपरी परत को नुकसान पहुंचाते हैं. समय के साथ यह परत टूटने लगती है और दांत में सड़न शुरू हो जाती है
दांत हमारे शरीर का बेहद अहम हिस्सा हैं, जो न सिर्फ हमारे चेहरे की सुंदरता बढ़ाते हैं, बल्कि भोजन को चबाने और पचाने में भी खास भूमिका निभाते हैं. लेकिन, आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में गलत खानपान और मुंह की सही सफाई न करने की वजह से दांतों से जुड़ी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं. इन समस्याओं में सबसे आम और गंभीर समस्या है दांतों में सड़न यानी कैविटी. दांतों में सड़न की समस्या तब होती है जब हम नियमित रूप से अपने दांतों की सफाई नहीं करते, ज्यादा मीठा खाते हैं या चिपचिपी चीजों का सेवन करते हैं.
ये चीजें दांतों पर जमा होकर बैक्टीरिया को बढ़ावा देती हैं, जो एसिड बनाते हैं और धीरे-धीरे दांत की ऊपरी परत को नुकसान पहुंचाते हैं. समय के साथ यह परत टूटने लगती है और दांत में सड़न शुरू हो जाती है. बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक हर उम्र के लोग इस समस्या से प्रभावित होते हैं.
शुरुआत में नहीं चलता कैविटी का पता
शुरुआत में दांतों की सड़न का पता लगाना मुश्किल होता है, क्योंकि दर्द नहीं होता, लेकिन जैसे-जैसे यह समस्या बढ़ती है, ठंडा या गर्म लगना, चबाने में दर्द और मुंह से बदबू जैसी समस्याएं सामने आने लगती हैं. बच्चों में यह समस्या सबसे ज्यादा देखी जाती है, क्योंकि वे चॉकलेट, टॉफी और मीठी चीजें ज्यादा खाते हैं और ब्रश ठीक से नहीं करते. अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो यह दांत के अंदर मौजूद नसों तक पहुंच सकती है, जिससे तेज दर्द, सूजन और यहां तक कि दांत निकालने की नौबत आ सकती है. इसलिए जरूरी है कि हम अपने दांतों की देखभाल करें और वक्त रहते इसका इलाज करें.
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल एंड क्रेनियोफेशियल रिसर्च (एनआईडीसीआर) के मुताबिक, दांतों में सड़न की समस्या अगर शुरुआती अवस्था में है, तो इसे रोका और ठीक किया जा सकता है. ऐसे मामलों में डेंटिस्ट फ्लोराइड लगाते हैं. यह दांतों की बाहरी परत को मजबूत करता है और शुरुआती सड़न को ठीक करने में मदद करता है. लेकिन अगर सड़न बढ़ गई है और दांत में छेद बन जाता है, तो फिर सिर्फ फ्लोराइड से इलाज संभव नहीं होता. ऐसे में डेंटिस्ट दांत के सड़े हुए हिस्से को निकाल देते हैं, ताकि वह सड़न आगे न फैले. इसके बाद दांत के खाली हिस्से को फिलिंग मटेरियल से भर दिया जाता है. इसे फिलिंग करना कहा जाता है.
दांतों में सड़न की समस्या को रोकने के लिए फ्लोराइड टूथपेस्ट से ब्रश करें. दिन में दो बार फ्लोराइड टूथपेस्ट से ब्रश करना दांतों को मजबूत करता है. फ्लोराइड माउथ रिंस का उपयोग करें, जो दांतों पर एक परत बनाकर उन्हें सड़न से बचाता है. अच्छी ओरल हाइजीन अपनाएं. दिन में दो बार सुबह और रात में ब्रश करें. दांतों के बीच की अच्छी तरह सफाई करें, ताकि फंसे खाने के कण निकल जाएं. वहां सबसे ज्यादा बैक्टीरिया पनपते हैं.
मीठे और स्टार्च वाले फूड्स से बचें. बैलेंस और न्यूट्रिशनल डाइट लें, फल, सब्जियां, दूध और दालें जैसे हेल्दी खाने से दांत और मसूड़े मजबूत रहते हैं. बार-बार कुछ न खाने की आदत डालें, क्योंकि बार-बार खाने से दांतों पर बैक्टीरिया का हमला ज्यादा होता है. हर छह महीने में एक बार डेंटिस्ट के पास चेकअप के लिए जरूर जाएं.
ये चीजें दांतों पर जमा होकर बैक्टीरिया को बढ़ावा देती हैं, जो एसिड बनाते हैं और धीरे-धीरे दांत की ऊपरी परत को नुकसान पहुंचाते हैं. समय के साथ यह परत टूटने लगती है और दांत में सड़न शुरू हो जाती है. बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक हर उम्र के लोग इस समस्या से प्रभावित होते हैं.
शुरुआत में नहीं चलता कैविटी का पता
शुरुआत में दांतों की सड़न का पता लगाना मुश्किल होता है, क्योंकि दर्द नहीं होता, लेकिन जैसे-जैसे यह समस्या बढ़ती है, ठंडा या गर्म लगना, चबाने में दर्द और मुंह से बदबू जैसी समस्याएं सामने आने लगती हैं. बच्चों में यह समस्या सबसे ज्यादा देखी जाती है, क्योंकि वे चॉकलेट, टॉफी और मीठी चीजें ज्यादा खाते हैं और ब्रश ठीक से नहीं करते. अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो यह दांत के अंदर मौजूद नसों तक पहुंच सकती है, जिससे तेज दर्द, सूजन और यहां तक कि दांत निकालने की नौबत आ सकती है. इसलिए जरूरी है कि हम अपने दांतों की देखभाल करें और वक्त रहते इसका इलाज करें.
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल एंड क्रेनियोफेशियल रिसर्च (एनआईडीसीआर) के मुताबिक, दांतों में सड़न की समस्या अगर शुरुआती अवस्था में है, तो इसे रोका और ठीक किया जा सकता है. ऐसे मामलों में डेंटिस्ट फ्लोराइड लगाते हैं. यह दांतों की बाहरी परत को मजबूत करता है और शुरुआती सड़न को ठीक करने में मदद करता है. लेकिन अगर सड़न बढ़ गई है और दांत में छेद बन जाता है, तो फिर सिर्फ फ्लोराइड से इलाज संभव नहीं होता. ऐसे में डेंटिस्ट दांत के सड़े हुए हिस्से को निकाल देते हैं, ताकि वह सड़न आगे न फैले. इसके बाद दांत के खाली हिस्से को फिलिंग मटेरियल से भर दिया जाता है. इसे फिलिंग करना कहा जाता है.
दांतों में सड़न की समस्या को रोकने के लिए फ्लोराइड टूथपेस्ट से ब्रश करें. दिन में दो बार फ्लोराइड टूथपेस्ट से ब्रश करना दांतों को मजबूत करता है. फ्लोराइड माउथ रिंस का उपयोग करें, जो दांतों पर एक परत बनाकर उन्हें सड़न से बचाता है. अच्छी ओरल हाइजीन अपनाएं. दिन में दो बार सुबह और रात में ब्रश करें. दांतों के बीच की अच्छी तरह सफाई करें, ताकि फंसे खाने के कण निकल जाएं. वहां सबसे ज्यादा बैक्टीरिया पनपते हैं.
मीठे और स्टार्च वाले फूड्स से बचें. बैलेंस और न्यूट्रिशनल डाइट लें, फल, सब्जियां, दूध और दालें जैसे हेल्दी खाने से दांत और मसूड़े मजबूत रहते हैं. बार-बार कुछ न खाने की आदत डालें, क्योंकि बार-बार खाने से दांतों पर बैक्टीरिया का हमला ज्यादा होता है. हर छह महीने में एक बार डेंटिस्ट के पास चेकअप के लिए जरूर जाएं.
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हेल्थ